GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 23.1 - अर्थ
From जैनकोष
कालः इति काल (निश्चयकाल) व्यपगतपञ्चवर्णरसः पाँच वर्ण और पाँच रस रहित, व्यपगतद्विगन्धाष्टस्पर्शः च दो गंध और आठ स्पर्श रहित, अगुरुलघुकः अगुरुलघु, अमूर्तः अमूर्त च और वर्तनलक्षणः वर्तना लक्षणवाला है ।