जया
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
- अरहनाथ भगवान् की शासक यक्षिणी–देखें तीर्थंकर - 5.3
- एक विद्याधर विद्या व एक मंत्र विद्या–देखें विद्या ।
- वाचना या व्याख्या का एक भेद–देखें वाचना ।
पुराणकोष से
(1) मंत्र-परिष्कृत एक विद्या । यह घरणेंद्र से नमि और विनमि को मिली थी । इस विद्या को रावण ने भी सिद्ध किया था । पद्मपुराण 7.330-332, हरिवंशपुराण 22. 70
(2) समवसरण की चार वापियों में तीसरी वापी । इनमें स्नान करने वाले जीव अपना पूर्वभव जान जाते हैं । ये वापियाँ सदैव जल से भरी रहती है । हरिवंशपुराण 57.73-74
(3) भरतक्षेत्र में पृथिवीपुर नगर के राजा यशोधर की रानी । यह जयकीर्तन की जननी थी । पद्मपुराण 5.138
(4) चंपापुरी के राजा वसुपूज्य की रानी । यह तीर्थंकर वासुपूज्य की जननी थी । पद्मपुराण 20. 48 इसका दूसरा नाम जयावती था । महापुराण 58.17-20