इलावृत वर्ष
From जैनकोष
जंबूदीव-पण्णत्तिसंगहो / प्रस्तावना 141/A.N.Up; H.L.Jain पुराणोंके अनुसार इलावृत चतुरस्र है। इधर वर्तमान भूगोल के अनुसार पामीर प्रदेश का मान 150 X 150 मील है। अतः चतुरस्र होने के कारण यह `पामीर' ही इलावृत है।
जंबूदीव-पण्णत्तिसंगहो / प्रस्तावना 141/A.N.Up; H.L.Jain पुराणोंके अनुसार इलावृत चतुरस्र है। इधर वर्तमान भूगोल के अनुसार पामीर प्रदेश का मान 150 X 150 मील है। अतः चतुरस्र होने के कारण यह `पामीर' ही इलावृत है।