अभ्यंतर
From जैनकोष
सर्वार्थसिद्धि अध्याय 9/20/439 कथमस्याभ्यंतरत्वम्। मनोनियमनार्थत्वात्। = प्रश्न-इस तप के अभ्यंतरतपना कैसे है? उत्तर-मन का नियमन करनेवाला होने से इसे अभ्यंतर तप कहते हैं।
सर्वार्थसिद्धि अध्याय 9/20/439 कथमस्याभ्यंतरत्वम्। मनोनियमनार्थत्वात्। = प्रश्न-इस तप के अभ्यंतरतपना कैसे है? उत्तर-मन का नियमन करनेवाला होने से इसे अभ्यंतर तप कहते हैं।