सामान्य परिचय
तीर्थंकर क्रमांक |
15 |
चिह्न |
वज्र |
पिता |
भानु |
माता |
सुप्रभा |
वंश |
कुरु |
उत्सेध (ऊँचाई) |
45 धनुष |
वर्ण |
स्वर्ण |
आयु |
10 लाख वर्ष |
पूर्व भव सम्बंधित तथ्य
पूर्व मनुष्य भव |
दशरथ |
पूर्व मनुष्य भव में क्या थे |
मण्डलेश्वर |
पूर्व मनुष्य भव के पिता |
गुप्तिमान |
पूर्व मनुष्य भव का देश, नगर |
धात की खंड विदेह सुसीमा |
पूर्व भव की देव पर्याय |
सर्वार्थसिद्धि |
गर्भ-जन्म कल्याणक सम्बंधित तथ्य
गर्भ-तिथि |
वैशाख शुक्ल 13 |
गर्भ-नक्षत्र |
रेवती |
जन्म तिथि |
माघ शुक्ल 13 |
जन्म नगरी |
रत्नपुर |
जन्म नक्षत्र |
पुष्य |
योग |
गुरु |
दीक्षा कल्याणक सम्बंधित तथ्य
वैराग्य कारण |
उल्कापात |
दीक्षा तिथि |
माघ शुक्ल 13 |
दीक्षा नक्षत्र |
पुष्य |
दीक्षा काल |
अपराह्न |
दीक्षोपवास |
तृतीय भक्त |
दीक्षा वन |
शालि |
दीक्षा वृक्ष |
दधिपर्ण |
सह दीक्षित |
1000 |
ज्ञान कल्याणक सम्बंधित तथ्य
केवलज्ञान तिथि |
पौष शुक्ल 15 |
केवलज्ञान नक्षत्र |
पुष्य |
केवलोत्पत्ति काल |
अपराह्न |
केवल स्थान |
रत्नपुर |
केवल वन |
सहेतुक |
केवल वृक्ष |
दधिपर्ण |
निर्वाण कल्याणक सम्बंधित तथ्य
योग निवृत्ति काल |
1 मास पूर्व |
निर्वाण तिथि |
ज्येष्ठ कृष्ण 14 |
निर्वाण नक्षत्र |
पुष्य |
निर्वाण काल |
प्रात: |
निर्वाण क्षेत्र |
सम्मेद |
समवशरण सम्बंधित तथ्य
समवसरण का विस्तार |
5 योजन |
सह मुक्त |
801 |
पूर्वधारी |
900 |
शिक्षक |
40700 |
अवधिज्ञानी |
3600 |
केवली |
4500 |
विक्रियाधारी |
7000 |
मन:पर्ययज्ञानी |
4500 |
वादी |
2800 |
सर्व ऋषि संख्या |
64000 |
गणधर संख्या |
43 |
मुख्य गणधर |
सेन |
आर्यिका संख्या |
62400 |
मुख्य आर्यिका |
सुव्रता |
श्रावक संख्या |
200000 |
मुख्य श्रोता |
सत्यदत्त |
श्राविका संख्या |
400000 |
यक्ष |
किंपुरुष |
यक्षिणी |
सोलसा (अनंत.) |
आयु विभाग
आयु |
10 लाख वर्ष |
कुमारकाल |
2.5 लाख वर्ष |
विशेषता |
मण्डलीक |
राज्यकाल |
5 लाख वर्ष |
छद्मस्थ काल |
1 वर्ष* |
केवलिकाल |
249999 वर्ष* |
तीर्थ संबंधी तथ्य
जन्मान्तरालकाल |
4 सागर +20 लाख वर्ष |
केवलोत्पत्ति अन्तराल |
3 सागर 225015 वर्ष–3/4 पल्य |
निर्वाण अन्तराल |
3 सागर –3/4 पल्य |
तीर्थकाल |
3 सागर +25000 वर्ष)–1 पल्य |
तीर्थ व्युच्छित्ति |
63/411 |
शासन काल में हुए अन्य शलाका पुरुष |
चक्रवर्ती |
मघवा, सनत्कुमार |
बलदेव |
सुदर्शन |
नारायण |
पुरुषसिंह |
प्रतिनारायण |
निशुम्भ |
रुद्र |
अजितनाभि |
( महापुराण/61/ श्लोक)‒पूर्वभव नं.2 में पूर्व धातकीखंड के पूर्वविदेह के वत्सदेश की सुसीमा नगरी के राजा दशरथ थे। (2-3)। पूर्वभव नं.1 में सर्वार्थसिद्धि में देव थे। (9)। वर्तमानभव में 15वें तीर्थंकर हुए।13-55। (विशेष देखें तीर्थंकर - 5)।
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