मनक
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
द्वितीय नरक का तृतीय या चतुर्थ पटल–देखें नरक - 5.11।
पुराणकोष से
शर्कराप्रभा पृथिवी के तृतीय प्रस्तार का इंद्रक बिल । इसकी चारों दिशाओं में एक सौ छत्तीस, विदिशाओं में एक सौ बत्तीस कुल दो सौ अड़सठ श्रेणीबद्ध बिल होते हैं । हरिवंशपुराण 4.107,