सामीप्य
From जैनकोष
राजवार्तिक/4/18/1/223/12 तुल्यजातीयेनाव्यवधानं सामीप्यम् ।
=तुल्य जातीयों के बीच में दूसरे पदार्थों का न आना सामीप्य है।
राजवार्तिक/4/18/1/223/12 तुल्यजातीयेनाव्यवधानं सामीप्यम् ।
=तुल्य जातीयों के बीच में दूसरे पदार्थों का न आना सामीप्य है।