अद्धानशन: Difference between revisions
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<p class="HindiText">= ग्रहण और प्रतिसेवना काल में अद्धानशन तप मुनि करते हैं। दीक्षा ग्रहण कर जब तक संन्यास ग्रहण किया नहीं तब तक ग्रहण काल माना जाता है। तथा व्रतादिकों में अतिचार लगने पर जो प्रायश्चित्त से शुद्धि करने के लिए कुछ दिन अर्थात् षष्ठम, अष्टम आदि अनशन करना पड़ता है, उसको प्रतिसेवना काल कहते हैं।</p><br> | |||
<p class="HindiText">- अनशन के अन्य स्वरूपों को जानने के लिये देखें [[ अनशन ]]।</p> | |||
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भगवती आराधना / विजयोदयी टीका / गाथा 209/425/13
कदा तदुभयमित्यत्र कालविवेकमाह-विहरंतस्य ग्रहणप्रतिसेवनकालयोर्वर्तमानस्य अद्धानशनं।
= ग्रहण और प्रतिसेवना काल में अद्धानशन तप मुनि करते हैं। दीक्षा ग्रहण कर जब तक संन्यास ग्रहण किया नहीं तब तक ग्रहण काल माना जाता है। तथा व्रतादिकों में अतिचार लगने पर जो प्रायश्चित्त से शुद्धि करने के लिए कुछ दिन अर्थात् षष्ठम, अष्टम आदि अनशन करना पड़ता है, उसको प्रतिसेवना काल कहते हैं।
- अनशन के अन्य स्वरूपों को जानने के लिये देखें अनशन ।