अनिंदितता: Difference between revisions
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(1) रत्नपुर नगर के राजा श्रीषेण की रानी और उपेन्द्रसेन की जननी । आदित्यगति और अरिंजय चारण मुनियों को राजा द्वारा दिये गये दान की अनुमोदना से इसने उत्तरकुरु की आयु का बन्ध किया था । अन्त में विष-पुष्प को सूंघने से इसका मरण हुआ तथा यह मरकर आर्य हुई । महापुराण 62.340 -350, 357-358
(2) एक देवी । यह मेरु की पूर्वोत्तर दिशा में नन्दन वन के बीच बलभद्रक कूट के आठवें चित्रक कूट में निवास करती है । हरिवंशपुराण 5.328-333