उपेक्षा: Difference between revisions
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<span class="GRef">सर्वार्थसिद्धि अध्याय 1/10/97/10</span> <p class="SanskritText">रागद्वेषयोरप्रणिधानमुपेक्षा।</p> | |||
<p class="HindiText">= रागद्वेष रूप | <p class="HindiText">= रागद्वेष रूप परिणामों का नहीं होना उपेक्षा है।</p> | ||
<p>( भगवती आराधना / विजयोदयी टीका / गाथा 1696/1516/16)</p> | <p>( <span class="GRef">भगवती आराधना / विजयोदयी टीका / गाथा 1696/1516/16</span>)</p> | ||
<p class="SanskritText"> | <span class="GRef">तत्त्वानुशासान/मूल 139 </span><p class="SanskritText">माध्यस्थ्यं समतोपेक्षावैराग्यं साम्यमस्पृहा। वैतृष्ण्यं प्रशमः शांतिरित्येकार्थोऽभिधीयते ।139।</p> | ||
<p class="HindiText">= माध्यस्थ्य, समता, उपेक्षा, वैराग्य, साम्य, अस्पृहा, वैतृष्ण्य प्रशम और शांति ये सब एक हो | <p class="HindiText">= माध्यस्थ्य, समता, उपेक्षा, वैराग्य, साम्य, अस्पृहा, वैतृष्ण्य प्रशम और शांति ये सब एक हो अर्थ को लिए हुए हैं। (और भी देखें [[ सामायिक#1.1 | सामायिक - 1.1]])</p> | ||
<p>• अंतरंग | <p class="HindiText">• अंतरंग अशुद्धता के सद्भाव में भी उसकी अपेक्षा कैसे करें - देखें [[ अनुभव#6 | अनुभव - 6]]।</p> | ||
Revision as of 13:43, 28 January 2023
सर्वार्थसिद्धि अध्याय 1/10/97/10
रागद्वेषयोरप्रणिधानमुपेक्षा।
= रागद्वेष रूप परिणामों का नहीं होना उपेक्षा है।
( भगवती आराधना / विजयोदयी टीका / गाथा 1696/1516/16)
तत्त्वानुशासान/मूल 139
माध्यस्थ्यं समतोपेक्षावैराग्यं साम्यमस्पृहा। वैतृष्ण्यं प्रशमः शांतिरित्येकार्थोऽभिधीयते ।139।
= माध्यस्थ्य, समता, उपेक्षा, वैराग्य, साम्य, अस्पृहा, वैतृष्ण्य प्रशम और शांति ये सब एक हो अर्थ को लिए हुए हैं। (और भी देखें सामायिक - 1.1)
• अंतरंग अशुद्धता के सद्भाव में भी उसकी अपेक्षा कैसे करें - देखें अनुभव - 6।