एकावली व्रत: Difference between revisions
From जैनकोष
(New page: १. बृहद् विधि<br>कुल समय = १ वर्ष; कुल उपवास = ८४। विधि = एक वर्ष तक बराबर प्रति...) |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<OL start=1 class="HindiNumberList"> <LI> बृहद् विधि </LI> </OL> | |||
कुल समय = १ वर्ष; कुल उपवास = ८४। विधि = एक वर्ष तक बराबर प्रतिमासकी शुक्ल १,५,८,१४ तथा कृष्ण. ४,८,१४ इन सात तिथियोंमें उपवास करे। इस प्रकार १२ महीनोंके ८४ उपवास करे। -जाप्य मन्त्र-नमस्कार मन्त्रका त्रिकाल जाप्य करे। (किशन सिंह क्रियाकोश); (व्रतविधान संग्रह पृ. ७६)<br> | |||
<OL start=2 class="HindiNumberList"> <LI> लघु विधि </LI> </OL> | |||
[[हरिवंश पुराण]] सर्ग ३४/६७ - कुल समय = ४८ दिन; कुल उपवास = २४; कुल पारणा = २४। विधि=किसी भी दिनसे प्रारम्भ करके १ उपवास १ पारणाके क्रमसे २४ उपवास पूरे करे। जाप्य मन्त्र=नमस्कार मन्त्रका त्रिकाल जाप्य करे (व्रतविधान संग्रह ७७)।<br> | |||
[[Category:ए]] | |||
[[Category:क्रियाकोश]] | |||
[[Category:हरिवंश पुराण]] |
Revision as of 01:19, 26 May 2009
- बृहद् विधि
कुल समय = १ वर्ष; कुल उपवास = ८४। विधि = एक वर्ष तक बराबर प्रतिमासकी शुक्ल १,५,८,१४ तथा कृष्ण. ४,८,१४ इन सात तिथियोंमें उपवास करे। इस प्रकार १२ महीनोंके ८४ उपवास करे। -जाप्य मन्त्र-नमस्कार मन्त्रका त्रिकाल जाप्य करे। (किशन सिंह क्रियाकोश); (व्रतविधान संग्रह पृ. ७६)
- लघु विधि
हरिवंश पुराण सर्ग ३४/६७ - कुल समय = ४८ दिन; कुल उपवास = २४; कुल पारणा = २४। विधि=किसी भी दिनसे प्रारम्भ करके १ उपवास १ पारणाके क्रमसे २४ उपवास पूरे करे। जाप्य मन्त्र=नमस्कार मन्त्रका त्रिकाल जाप्य करे (व्रतविधान संग्रह ७७)।