दंडक: Difference between revisions
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<p id="1">(1) | <p id="1">(1) कर्मकुंडल नगर का राजा । इसकी रानी परिव्राजकों की भक्त थी । एक समय इस राजा ने ध्यानस्थ एक दिगंबर मुनि के गले मे मृत सर्प डलवा दिया था, जिसे बहुत समय तक मुनि के गले में ज्यों का त्यों डला देखकर वह बहुत प्रभावित हुआ था । राजा की मुनि भक्ति से रानी का गुप्त प्रेमी परिव्राजक असंतुष्ट हुआ । उसने निर्ग्रंथ होकर रानी के साथ व्यभिचार किया । कृत्रिम मुनि के इस कुकृत्य से कुपित होकर इस नृप ने समस्त मुनियों को धानी मे पिलवा दिया था । एक मुनि अन्यत्र चले जाने से मरण से बच गये थे । राजा के इस घृणित कृत्य को देखकर मुनिवर को क्रोध आ गया और उनके मुख से हा निकला कि अग्नि प्रकट हो गयी और उससे सब कुछ भस्म हो गया । <span class="GRef"> पद्मपुराण 41. 58 </span></p> | ||
<p id="2">(2) दक्षिण का एक पर्वत । <span class="GRef"> पद्मपुराण 42.87-88 </span></p> | <p id="2">(2) दक्षिण का एक पर्वत । <span class="GRef"> पद्मपुराण 42.87-88 </span></p> | ||
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Revision as of 16:25, 19 August 2020
(1) कर्मकुंडल नगर का राजा । इसकी रानी परिव्राजकों की भक्त थी । एक समय इस राजा ने ध्यानस्थ एक दिगंबर मुनि के गले मे मृत सर्प डलवा दिया था, जिसे बहुत समय तक मुनि के गले में ज्यों का त्यों डला देखकर वह बहुत प्रभावित हुआ था । राजा की मुनि भक्ति से रानी का गुप्त प्रेमी परिव्राजक असंतुष्ट हुआ । उसने निर्ग्रंथ होकर रानी के साथ व्यभिचार किया । कृत्रिम मुनि के इस कुकृत्य से कुपित होकर इस नृप ने समस्त मुनियों को धानी मे पिलवा दिया था । एक मुनि अन्यत्र चले जाने से मरण से बच गये थे । राजा के इस घृणित कृत्य को देखकर मुनिवर को क्रोध आ गया और उनके मुख से हा निकला कि अग्नि प्रकट हो गयी और उससे सब कुछ भस्म हो गया । पद्मपुराण 41. 58
(2) दक्षिण का एक पर्वत । पद्मपुराण 42.87-88
(3) दंडक देश का एक राजा । पद्मपुराण 41.92 देखें दंडकारंय