प्ररूपणा: Difference between revisions
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ध. | ध. 1/1,1,8/159/6 <span class="SanskritText">प्ररूपणा निरूपणा प्रज्ञापनेति यावत् ।</span> = <span class="HindiText">प्ररूपणा, निरूपणा और प्रज्ञापना ये एकार्थवाची नाम हैं ।</span><br /> | ||
ध. | ध. 2/1,1/411/8 <span class="PrakritText">परूवणा णाम किं उत्तं होदि । ओघादेसेहि गुणेसु जीवसमासेसु ... पज्जत्तापज्जत्तविसेसणेहि विसेसिऊण जा जीव परिक्खा सा परूवणा णाम ।</span> = <span class="HindiText"><strong>प्रश्न - </strong>प्ररूपणा किसे कहते हैं ? <strong>उत्तर- </strong>सामान्य और विशेष की अपेक्षा गुणस्थान में ... (20 प्ररूपणाओं में) पर्याय और अपर्याप्त विशेषणों से विशेषित करके जो जीवों की परीक्षा की जाती है, उसे प्ररूपणा कहते हैं ।<br /> | ||
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<li><span class="HindiText"><strong name="2" id="2">बीस प्ररूपणाओं के नाम निर्देश</strong> </span><br /> | <li><span class="HindiText"><strong name="2" id="2">बीस प्ररूपणाओं के नाम निर्देश</strong> </span><br /> | ||
पं.सं./प्रा. | पं.सं./प्रा.1/2 <span class="PrakritGatha">गुणजीवा पज्जत्ती पाणा सण्णा य मग्गणाओ य । उवओगो वि य कमसो वीसं तु प्ररूवणा भणिया ।2।</span> = <span class="HindiText">गुणस्थान, जीवसमास, पर्याप्ति, प्राण, संज्ञा, चौदह मार्गणाएँ और उपयोग, इस प्रकार क्रम से ये बीस प्ररूपणा कही गयी हैं ।2। (गो.जी./मू./2/31), (पं.सं./सं../1/11) विशेष देखें [[ अनुयोग#2.3.4 | अनुयोग - 2.3.4]]<br /> | ||
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<li><span class="HindiText"><strong>प्ररूपणाओं का मार्गणा स्थानों में अन्तर्भाव </strong>- | <li><span class="HindiText"><strong>प्ररूपणाओं का मार्गणा स्थानों में अन्तर्भाव </strong>- देखें [[ मार्गणा#8 | मार्गणा - 8]]</span></li> | ||
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Revision as of 21:44, 5 July 2020
- लक्षण व पर्यायनाम
ध. 1/1,1,8/159/6 प्ररूपणा निरूपणा प्रज्ञापनेति यावत् । = प्ररूपणा, निरूपणा और प्रज्ञापना ये एकार्थवाची नाम हैं ।
ध. 2/1,1/411/8 परूवणा णाम किं उत्तं होदि । ओघादेसेहि गुणेसु जीवसमासेसु ... पज्जत्तापज्जत्तविसेसणेहि विसेसिऊण जा जीव परिक्खा सा परूवणा णाम । = प्रश्न - प्ररूपणा किसे कहते हैं ? उत्तर- सामान्य और विशेष की अपेक्षा गुणस्थान में ... (20 प्ररूपणाओं में) पर्याय और अपर्याप्त विशेषणों से विशेषित करके जो जीवों की परीक्षा की जाती है, उसे प्ररूपणा कहते हैं ।
- बीस प्ररूपणाओं के नाम निर्देश
पं.सं./प्रा.1/2 गुणजीवा पज्जत्ती पाणा सण्णा य मग्गणाओ य । उवओगो वि य कमसो वीसं तु प्ररूवणा भणिया ।2। = गुणस्थान, जीवसमास, पर्याप्ति, प्राण, संज्ञा, चौदह मार्गणाएँ और उपयोग, इस प्रकार क्रम से ये बीस प्ररूपणा कही गयी हैं ।2। (गो.जी./मू./2/31), (पं.सं./सं../1/11) विशेष देखें अनुयोग - 2.3.4
- प्ररूपणाओं का मार्गणा स्थानों में अन्तर्भाव - देखें मार्गणा - 8