ब्राह्मी: Difference between revisions
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भगवान् ऋृषभ देव की पुत्री थी, जिसने कुमारी अवस्था में दीक्षा धारण कर ली थी । (म.पु./12/42) । | |||
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<p id="1">(1) तीर्थंकर वृषभदेव और रानी यशस्वती की पुत्री । यह शील और विनय से मुक्त थी । इसने अपने पिता से सर्वप्रथम लिपिविद्या सीखी थी । यह भरत की छोटी बहिन थी । तीर्थंकर वृषभदेव की दो रानियाँ थी । पहली रानी यशस्वती से यह और भरत आदि सौ पुत्र तथा दूसरी रानी सुनन्दा से सुन्दरी और बाहुबली हुए । इसने अपने पिता से दीक्षित होकर आर्यिकाओं में गणिनी पद प्राप्त किया था । देवों ने भी इसकी पूजा की थी । सुन्दरी भी इसके नाथ दीक्षित हो गयी थी । सुलोचना ने इसी से दीक्षा ली थी । <span class="GRef"> महापुराण 16.4-7, 96-108, 24. 175.47 268, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 24.177 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 9.21 </span></p> | |||
<p id="2">(2) वाराणसी नगरी के राजा विश्वसेन की रानी । यह तीर्थंकर पार्श्वनाथ की जननी थी । <span class="GRef"> महापुराण 73.74-92 </span></p> | |||
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Revision as of 21:44, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से == भगवान् ऋृषभ देव की पुत्री थी, जिसने कुमारी अवस्था में दीक्षा धारण कर ली थी । (म.पु./12/42) ।
पुराणकोष से
(1) तीर्थंकर वृषभदेव और रानी यशस्वती की पुत्री । यह शील और विनय से मुक्त थी । इसने अपने पिता से सर्वप्रथम लिपिविद्या सीखी थी । यह भरत की छोटी बहिन थी । तीर्थंकर वृषभदेव की दो रानियाँ थी । पहली रानी यशस्वती से यह और भरत आदि सौ पुत्र तथा दूसरी रानी सुनन्दा से सुन्दरी और बाहुबली हुए । इसने अपने पिता से दीक्षित होकर आर्यिकाओं में गणिनी पद प्राप्त किया था । देवों ने भी इसकी पूजा की थी । सुन्दरी भी इसके नाथ दीक्षित हो गयी थी । सुलोचना ने इसी से दीक्षा ली थी । महापुराण 16.4-7, 96-108, 24. 175.47 268, पद्मपुराण 24.177 हरिवंशपुराण 9.21
(2) वाराणसी नगरी के राजा विश्वसेन की रानी । यह तीर्थंकर पार्श्वनाथ की जननी थी । महापुराण 73.74-92
भ