लेश्याकर्म: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> अग्रायणीयपूर्व में चौदह वस्तुओं का वर्णन है | <div class="HindiText"> <p> चौदह पूर्वों में दूसरा अग्रायणीयपूर्व है । इस पूर्व में चौदह वस्तुओं का वर्णन है । इन वस्तुओं में से पांचवीं अच्यवनलब्धि वस्तु के बीस प्राभृत है, जिसमें कर्मप्रकृति नामक चौथे प्राभृत के चौबीस योगद्वार बताये हैं । इनमें चौदहवाँ योगद्वार लेश्याकर्म । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10. 81, 83 </span> अधिक जानकारी के लिए देखें [[ अग्रायणीयपूर्व ]]</p> | ||
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Revision as of 22:39, 3 January 2023
चौदह पूर्वों में दूसरा अग्रायणीयपूर्व है । इस पूर्व में चौदह वस्तुओं का वर्णन है । इन वस्तुओं में से पांचवीं अच्यवनलब्धि वस्तु के बीस प्राभृत है, जिसमें कर्मप्रकृति नामक चौथे प्राभृत के चौबीस योगद्वार बताये हैं । इनमें चौदहवाँ योगद्वार लेश्याकर्म । हरिवंशपुराण 10. 81, 83 अधिक जानकारी के लिए देखें अग्रायणीयपूर्व