लोक विभाग: Difference between revisions
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यह ग्रन्थ लोक के स्वरूप का वर्णन करता है। मूल ग्रन्थ प्राकृत गाथाबद्ध आ. सर्वनन्दि द्वारा ई. 458 में रचा गया था। पीछे आ. सिंहसूरि (ई. श. 11 के पश्चात्) द्वारा इसका संस्कृत रूपान्तर कर दिया गया। रूपान्तर ग्रन्थ ही उपलब्ध है मूल नहीं। इसमें 11 प्रकरण हैं और 2000 श्लोक प्रमाण है । | |||
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Revision as of 21:46, 5 July 2020
यह ग्रन्थ लोक के स्वरूप का वर्णन करता है। मूल ग्रन्थ प्राकृत गाथाबद्ध आ. सर्वनन्दि द्वारा ई. 458 में रचा गया था। पीछे आ. सिंहसूरि (ई. श. 11 के पश्चात्) द्वारा इसका संस्कृत रूपान्तर कर दिया गया। रूपान्तर ग्रन्थ ही उपलब्ध है मूल नहीं। इसमें 11 प्रकरण हैं और 2000 श्लोक प्रमाण है ।