अनंत चतुष्टय
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घातिया कर्मों के क्षय से उत्पन्न अनंतदर्शन, अनंतज्ञान, अनंतसुख और अनंतवीर्य नाम के चार गुण । ये अर्हंत और सिद्ध परमेष्ठियों को प्राप्त होते हैं । महापुराण 21.114,121-123