निर्द्वंद
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मोक्षपाहुड़/ टी./12/312/10 निर्द्वंदो निष्कलह: केनापि सह कलहरहित:। अथवा निर्द्वंद्वो निर्युग्म: स्त्रीभोगरहित:। ‘द्वंद्वं कलहयुग्मयो:’ इति वचनात् । =क्योंकि द्वंद्व कलह व युग्म इन दो अर्थों में वर्तता है, इसलिए निर्द्वंद्व शब्द के भी दो अर्थ होते हैं–निष्कलह अर्थात् किसी के साथ भी कलह से रहित; तथा निर्युग्म अर्थात् भोग से रहित।