GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 95 - अर्थ
From जैनकोष
धर्म, अधर्म, आकाश (लोकाकाश) अपृथग्भूत, समान परिमाणवाले और पृथक् उपलब्धि विशेषवान हैं; इसलिए एकत्व और अन्यत्व को करते हैं।
धर्म, अधर्म, आकाश (लोकाकाश) अपृथग्भूत, समान परिमाणवाले और पृथक् उपलब्धि विशेषवान हैं; इसलिए एकत्व और अन्यत्व को करते हैं।