GP:प्रवचनसार - गाथा 110 - अर्थ
From जैनकोष
इस विश्व में कोई भी गुण या पर्याय द्रव्य के बिना नहीं है, और द्रव्यत्व (द्रव्य का) भाव-स्वभाव है, इसलिये द्रव्य स्वयं सत्ता है ।
इस विश्व में कोई भी गुण या पर्याय द्रव्य के बिना नहीं है, और द्रव्यत्व (द्रव्य का) भाव-स्वभाव है, इसलिये द्रव्य स्वयं सत्ता है ।