GP:प्रवचनसार - गाथा 131 - अर्थ
From जैनकोष
पुद्गल द्रव्यात्मक मूर्त-गुण इन्द्रियों से ग्राह्य और अनेक प्रकार के हैं तथा अमूर्त द्रव्यों के गुण अमूर्त जानना चाहिये ।
पुद्गल द्रव्यात्मक मूर्त-गुण इन्द्रियों से ग्राह्य और अनेक प्रकार के हैं तथा अमूर्त द्रव्यों के गुण अमूर्त जानना चाहिये ।