GP:प्रवचनसार - गाथा 137 - अर्थ
From जैनकोष
जैसे वे आकाश के प्रदेश हैं,वैसे ही शेष द्रव्यों के प्रदेश हैं । परमाणु अप्रदेशी है, उसके द्वारा प्रदेशों (को मापने सम्बन्धी) की उत्पत्ति कही गई है ।
जैसे वे आकाश के प्रदेश हैं,वैसे ही शेष द्रव्यों के प्रदेश हैं । परमाणु अप्रदेशी है, उसके द्वारा प्रदेशों (को मापने सम्बन्धी) की उत्पत्ति कही गई है ।