GP:प्रवचनसार - गाथा 27 - अर्थ
From जैनकोष
[ज्ञानं आत्मा] ज्ञान आत्मा है [इति मतं] ऐसा जिन-देव का मत है । [आत्मानं विना] आत्मा के बिना (अन्य किसी द्रव्य में) [ज्ञानं न वर्तते] ज्ञान नहीं होता, [तस्मात्] इसलिये [ज्ञानं आत्मा] ज्ञान आत्मा है; [आत्मा] और आत्मा [ज्ञानं वा] (ज्ञान गुण द्वारा) ज्ञान है [अन्यत् वा] अथवा (सुखादि अन्य गुण द्वारा) अन्य है ॥२७॥