GP:प्रवचनसार - गाथा 69 - अर्थ
From जैनकोष
[देवतायतिगुरुपूजासु] देव, गुरु और यति की पूजा में, [दाने च एव] दान में [सुशीलेषु वा] एवं सुशीलों में [उपवासादिषु] और उपवासादिक में [रक्त: आत्मा] लीन आत्मा [शुभोपयोगात्मक:] शुभोपयोगात्मक है ॥६९॥
[देवतायतिगुरुपूजासु] देव, गुरु और यति की पूजा में, [दाने च एव] दान में [सुशीलेषु वा] एवं सुशीलों में [उपवासादिषु] और उपवासादिक में [रक्त: आत्मा] लीन आत्मा [शुभोपयोगात्मक:] शुभोपयोगात्मक है ॥६९॥