GP:प्रवचनसार - गाथा 92.3 - अर्थ
From जैनकोष
इसलिये उन्हे (सम्यकचारित्र युक्त पूर्वोक्त मुनिराजों को) नमस्कार करके तथा हमेशा उनमें ही मन लगाकर, संक्षेप से परमार्थ का निश्चय करानेवाला सम्यक्त्व (अधिकार) कहुंगा ॥
इसलिये उन्हे (सम्यकचारित्र युक्त पूर्वोक्त मुनिराजों को) नमस्कार करके तथा हमेशा उनमें ही मन लगाकर, संक्षेप से परमार्थ का निश्चय करानेवाला सम्यक्त्व (अधिकार) कहुंगा ॥