GP:रत्नकरंड श्रावकाचार - श्लोक 55 - टीका हिंदी
From जैनकोष
'विरमणमेव वैरमणम्' इस व्युत्पत्ति के अनुसार वैरमण शब्द में स्वार्थ में अण् प्रत्यय हुआ है । इसलिए जो अर्थ विरमण शब्द का होता है, वही वैरमण शब्द का अर्थ है । 'स्थूलं' का अर्थ यह है कि जिसके कहने से स्व और पर के लिए राज्यादिक से वध बन्धनादिक प्राप्त हों ऐसे स्थूल असत्य को जो न तो स्वयं बोलता है और न दूसरों को प्रेरित कर बुलवाता है तथा ऐसा सत्य भी जैसे 'यह चोर है' इत्यादि न स्वयं बोलता है, न दूसरों से बुलवाता है, उसे सत्याणुव्रत कहते हैं ।