अच्छेज्ज
From जैनकोष
भगवती आराधना / विजयोदया टीका/230/443/10 तत्रोद्गमो दोषो निरूप्यते .... ... राजामात्यादिभिर्भयमुपदर्श्य परकीयं यद्दीयते तदुच्यते अच्छेज्जं इति ।.... उद्गमदोषा निरूपिताः ।
राजा अथवा प्रधान इत्यादिकों से भय दिखाकर दूसरों का गृहादिक यतियों को रहने के लिए देना वह अच्छेज्ज नाम का उद्गम दोष है ।
वसतिका के अन्य दोषों को जानने के लिये देखें वसतिका ।