अनंतचतुष्टय
From जैनकोष
नियमसार / तात्पर्यवृत्ति/15 सहजशुद्धनिश्चयेन अनाद्यनिधनामूर्तातींद्रियस्वभावशुद्धसहजज्ञान-सहजदर्शन-सहजचारित्र-सहजपरमवीतरागसुखात्मकशुद्धांतस्तत्त्वस्वरूपस्वभावानंतचतुष्टयस्वरूपेण...। साद्यनिधनामूर्तातींद्रियस्वभावशुद्धसद्भूतव्यवहारेण केवलज्ञानकेवलदर्शनकेवलसुखकेवलशक्तियुक्तफलरूपानंतचतुष्टयेन...।=सहज शुद्ध निश्चयनय से, अनादि-अनंत, अमूर्त-अतींद्रिय स्वभाव वाले और शुद्ध ऐसे सहजज्ञान, सहजदर्शन, सहजचारित्र और सहजपरमवीतरागसुखात्मकशुद्ध अंत:तत्त्वस्वरूप जो स्वभाव अनंतचतुष्टय का स्वरूप...। तथा सादि, अनंत, अमूर्त, अतींद्रियस्वभाव वाले शुद्धसद्भूत व्यवहार से केवलज्ञान, केवलदर्शन, केवलसुख, केवलशक्तियुक्त फलरूप अनंत चतुष्टय...।
-और देखें चतुष्टय -7 ।