अनीश्वरनय
From जैनकोष
प्रवचनसार/तत्व प्रदीपिका/परिशिष्ठ/नय नं. अनीश्वरनयेन स्वच्छन्ददारितकुरङ्गकण्ठीरववतन्त्र्यभोक्तृ।३५। = अनीश्वरनय से स्वतन्त्रता भोगनेवाला है, हिरन को स्वच्छन्दतापूर्वक फाड़कर खा जाने वाले सिंह की भांति।
नय को विस्तार से जानने के लिये देखें नय ।