अपान
From जैनकोष
सर्वार्थसिद्धि अध्याय 5/19/288
आत्मना बाह्यो वायुरभ्यंतरीक्रियमाणो निःश्वासलक्षणोऽपान इत्याख्यायते।
= आत्मा जिस बाहरी वायु को भीतर करता है निःश्वास लक्षण उस वायु को अपान कहते हैं।
(राजवार्तिक अध्याय 5/19/36/473) (गोम्मट्टसार जीवकांड / जीव तत्त्व प्रदीपिका टीका गाथा 606/1062/12)।