अप्रणतिवाक्
From जैनकोष
सत्यप्रवाद नाम के अंग में कथित बारह प्रकार की भाषाओं में एक भाषा । यह अपने से अधिक गुणवालों को नमस्कार नहीं करती । हरिवंशपुराण - 10.91-95
सत्यप्रवाद नाम के अंग में कथित बारह प्रकार की भाषाओं में एक भाषा । यह अपने से अधिक गुणवालों को नमस्कार नहीं करती । हरिवंशपुराण - 10.91-95