अभूतोद्भावन
From जैनकोष
भगवती आराधना / मूल या टीका गाथा 826
जं असभूदुब्भाव्रणभेदं विदियं असंतवयणं तु। अत्थि सुराणमकाले मुच्चति जहेवमादियं ॥826॥
= जो नहीं है उसका है कहना, यह असत्य वचन का दूसरा भेद अभूतोद्भावन असत्य वचन है; जैसे - देवों की अकाल मृत्यु नहीं है, फिर भी देवों की अकाल मृत्यु बताना इत्यादि।
अधिक जानकारी के लिए देखें असत्य - 3.2 ।