अभेदोपचार
From जैनकोष
राजवार्तिक अध्याय 4/42/14/253/1
पर्यायार्थत्वेनाश्रयेण परस्पर व्यतिरेकेऽपि एकत्वाध्यारोपः ततश्चाभेदोपचारः।
= पर्यायार्थिक न यके आश्रय से विभिन्न पर्यायों में परस्पर व्यतिरेक होते हुए भी उनमें एकत्व का अध्यारोप करना अभेदोपचार है।
(सप्तभंग तरंंगिनी पृष्ठ 19/13) ।