असद्भूत नय
From जैनकोष
व्यवहार नय के दो भेदों में से एक असद्भूत व्यवहार नय है।
आलापपद्धति/10 भिन्नवस्तुविषयोऽसद्भूतव्यवहार:। =भिन्न वस्तु को विषय करने वाला असद्भूत व्यवहारनय है। ( नयचक्र/श्रुतभवन दीपक/25); (और भी देखें नय - V.4.1 व नय - V.4.2 )
नयचक्र बृहद्/223-225 अण्णेसिं अण्णगुणो भणइ असब्भूद तिविह ते दोवि। सज्जाइ इयर मिस्सो णायव्वो तिविहभेयजुदो।223।=अन्य द्रव्य के अन्य गुण कहना असद्भूत व्यवहारनय है। वह तीन प्रकार का है –स्वजाति, विजाति और मिश्र। ये तीनों भी द्रव्य गुण व पर्याय में परस्पर उपचार होने से तीन-तीन प्रकार के हो जाते हैं। (विशेष देखें उपचार - 5)।
असद्भूत व्यवहार नय की अन्य परिभाषाओं तथा नय के सम्बन्ध में विशेष जानकारी हेतु देखें नय - V.5