अहिंसाणुव्रत
From जैनकोष
पाँच अणुव्रतों में इस नाम का प्रथम अणुव्रत । इसमें मन, वचन और काय तथा कृतकारित और अनुमोदना में त्रस जीवो की यत्न पूर्वक रक्षा की जाती है । इसके बंध, वध, छेदन, अतिभारारोण और अन्नपाननिरोध ये पाँच अतिचार होते हैं । हरिवंशपुराण - 58.138, 163-165, वीरवर्द्धमान चरित्र 18.38