आकस्मिक भय
From जैनकोष
मूलाचार/53 इहपरलोयत्ताणं अगुत्तिमरणं च वेयणाकिस्सि भया। = इहलोक भय, परलोक, अरक्षा, अगुप्ति, मरण, वेदना और आकस्मिक भय ये सात भय हैं।
पंचाध्यायी / उत्तरार्ध/ श्लोक नं. भीतिर्भूयाद्यथा सौस्थ्यं माभूद्दौस्थ्यं कदापि मे। इत्येवं मानसी चिंता पर्याकुलितचेतसा।544।
भय के सम्बन्ध में विशेष जानने हेतु देखें भय ।