आदान निक्षेपन
From जैनकोष
आदान निक्षेपण समिति का लक्षण
मूलाचार/14,319,320 णाणुवहिं संजमुवहिं सौचुवहिं अण्णमप्पमुवहिं वा। पयदं गहणणिक्खेवो समिदी आदाणणिक्खेवा।14। आदाणे णिक्खेवे पडिलेहिय चक्खुणा पमज्जेज्जो। दव्वं च दव्वठाणं संजमलद्धीए सो भिक्खू।319। सहसाणा भोइददुप्पमज्जिदअपच्चुवेक्खणा दोसा। परिहरमाणस्स हवे समिदी आदाणणिक्खेवा।320। =1. ज्ञान के उपकरण, संयम के उपकरण तथा शौच के उपकरण, व अन्य सांथरे आदि के निमित्त उपकरण, इनका यत्नपूर्वक उठाना, रखना वह आदान निक्षेपण समिति है। ( नियमसार/64 )। 2. ग्रहण और रखने में पीछी, कमंडलु आदि वस्तु को तथा वस्तु के स्थान को अच्छी तरह देखकर पीछी से जो शोधन करता है वह भिक्षु कहलाता है, यही आदान निक्षेपण समिति है।319। ( भगवती आराधना/1198 ), ( तत्त्वसार/6/10 ) शीघ्रता से बिना देखे, अनादर से, बहुत काल से रखे उपकरणों का उठाना-रखना स्वरूप दोषों का जो त्याग करता है उसके आदाननिक्षेपण समिति होती है।320।
राजवार्तिक/9/5/7/594/25 धर्माविरोधिनां परानुपरोधिनां द्रव्याणां ज्ञानादिसाधनानां ग्रहणे विसर्जने च निरीक्ष्य प्रमृज्य प्रवर्तनमादाननिक्षेपणा समिति:। =धर्मविरोधी और परानुपरोधी ज्ञान और संयम के साधक उपकरणों को देखकर और शोधकर रखना और उठाना आदाननिक्षेपण समिति है। ( चारित्रसार/74/2 ), ( ज्ञानार्णव/18/12-13 ), ( अनगारधर्मामृत/4/168/496 )।
देखें समिति - 1.6।