आभियोग्य
From जैनकोष
सामानिक आदि दस प्रकार के देवों में एक प्रकार के देव । ये दासों के समान शेष नौ प्रकार के देवों का सेवा कर्म करते हैं । ये देव-सभा में बैठने योग्य नहीं होते । महापुराण 22.29, हरिवंशपुराण - 3.136, वीरवर्द्धमान चरित्र 14.40
सामानिक आदि दस प्रकार के देवों में एक प्रकार के देव । ये दासों के समान शेष नौ प्रकार के देवों का सेवा कर्म करते हैं । ये देव-सभा में बैठने योग्य नहीं होते । महापुराण 22.29, हरिवंशपुराण - 3.136, वीरवर्द्धमान चरित्र 14.40