ईश्वर अनीश्वर नय
From जैनकोष
प्रवचनसार/तत्व प्रदीपिका/परिशिष्ठ/नय नं. ...... ईश्वरनयेन धात्रीहटावलेह्यमानपान्थबालकवत्पारतन्त्र्यभोक्तृ।३४। अनीश्वरनयेन स्वच्छन्ददारितकुरङ्गकण्ठीरववतन्त्र्यभोक्तृ।३५। ..... ।४७।=....... ३४. ईश्वरनय से परतंत्रता भोगनेवाला है, धाय की दुकान पर दूध पिलाये जाने वाले राहगीर के बालक की भांति। ३५. अनीश्वरनय से स्वतन्त्रता भोगनेवाला है, हिरन को स्वच्छन्दतापूर्वक फाड़कर खा जाने वाले सिंह की भांति।.....।
अधिक जानकारी के लिये देखें नय - I.5.4 ।