उपनय ब्रह्मचारी
From जैनकोष
चारित्रसार/42/1 तत्रोपनयब्रह्मचारिणो गणधरसूत्रधारिणः समभ्यस्तागमा गृहधर्मानुष्ठायिनो भवंति । .....।
जो गणधर-सूत्र को धारण कर अर्थात् यज्ञोपवीत को धारण कर उपासकाध्ययन आदि शास्त्रों का अभ्यास करते हैं और फिर गृहस्थ धर्म स्वीकार करते हैं, उन्हें उपनय ब्रह्मचारी कहते हैं।
देखें ब्रह्मचारी ।