कर्मप्रकृति
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
बंध का भेद—देखें प्रकृतिबंध , श्रुतज्ञान का एक अंग—देखें परिशिष्ट - 1
पुराणकोष से
कर्मों की प्रकृतियाँ ये एक सौ अड़तालीस हैं इन्हीं के वशीभूत जीव जन्म,जरा,मरण,रोग,दुःख और सुख संसार में प्राप्त कर रहे हैं
महापुराण 62.312-314,67-6