कल्पवन
From जैनकोष
समवसरण-भूमि में दूसरे कोट के भीतर धूपघटों के बाद की वीथियों में स्थित दैदीप्यमान वन । इसमें कल्पवृक्ष होते हैं । महापुराण 22.243-247
समवसरण-भूमि में दूसरे कोट के भीतर धूपघटों के बाद की वीथियों में स्थित दैदीप्यमान वन । इसमें कल्पवृक्ष होते हैं । महापुराण 22.243-247