क्षायिक वीर्य
From जैनकोष
सर्वार्थसिद्धि/2/4/154/10 वीर्यांतरायस्य कर्मणोऽत्यंतक्षयादाविर्भूतमनंतवीर्यं क्षयिकम्। = वीर्यांतराय कर्म के अत्यंत क्षय से क्षायिक अनंत वीर्य प्रगट होता है। ( राजवार्तिक/2/4/6/106/9 )।
परमात्मप्रकाश टीका/1/61/61/12 केवलज्ञानविषये अनंतपरिच्छित्तिशक्तिरूपमनंतवीर्यं भण्यते। = केवलज्ञान के विषय में अनंत पदार्थों को जानने की जो शक्ति है वही अनंत वीर्य है। ( द्रव्यसंग्रह टीका/14/42/11 )।
देखें वीर्य ।