क्षायिकभाव
From जैनकोष
कर्मों के नष्ट हो जाने पर जीव के उत्पन्न भाव । इनके सद्भाव में आत्मा इन्हीं में शाश्वत तन्मय रहता है । महापुराण 54.155
कर्मों के नष्ट हो जाने पर जीव के उत्पन्न भाव । इनके सद्भाव में आत्मा इन्हीं में शाश्वत तन्मय रहता है । महापुराण 54.155