चौल
From जैनकोष
एक संस्कार-मुंडन कर्म । यह अन्नप्राशन संस्कार के पश्चात् संपन्न होता है । महापुराण 15.164
इस समय निम्न मंत्र बोले जाते हैं― उपनयनमुंठभागीभव, निर्ग्रंथमुंडभागी भव, निष्कांतिमुंडभागी भव, परमनिस्तारककेशभागी भव, परमेंद्रकेशभागी भव, परमराज्यकेशभागी भव, आर्हंत्यकेशभागी भव । महापुराण 40.147-151
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