जन्माभिषेक
From जैनकोष
सौधर्म और ऐशान स्वर्ग के इंद्रों द्वारा पांडुकशिला पर निर्मित सिंहासन पर जिनेंद्र को विराजमान कर की गयी उनकी अभिषेक किया । असंख्य देव क्षीरसागर से जल कलश भरकर सुमेरु पर्वत तक हाथों हाथ लाते हैं । इस समय सौधर्मेंद्र तीर्थंकर को पूर्वाभिमुख विराजमान करके सोत्साह जलधारा छोड़ता है । अन्य सभी स्वर्गों के इंद्र स्वर्ण कलशों से अभिषेक करते हैं शेष देव जलध्वनि करते हैं । महापुराण 13.82-121, वीरवर्द्धमान चरित्र 9.8-40