दर्शशुद्धि
From जैनकोष
एक व्रत इसमें औपशमिक, क्षायोपशमिक और क्षायिक इन त्रिविध सम्यग्दर्शनों के नि:शंकित आदि आठ अंगों फी अपेक्षा चौबीस उपवास किये जाते हैं । एक उपवास और एक पारणा करने से यह व्रत अड़तालीस दिन में पूर्ण होता है । हरिवंशपुराण - 34.98
एक व्रत इसमें औपशमिक, क्षायोपशमिक और क्षायिक इन त्रिविध सम्यग्दर्शनों के नि:शंकित आदि आठ अंगों फी अपेक्षा चौबीस उपवास किये जाते हैं । एक उपवास और एक पारणा करने से यह व्रत अड़तालीस दिन में पूर्ण होता है । हरिवंशपुराण - 34.98