द्रव्य शुद्धि
From जैनकोष
धवला 9/4,1,54/253-254/3 तत्र ज्वर-कुक्षि-शिरोरोग-दु:स्वप्न-रुधिर-वण्-मूत्र-लेपातीसार-पूयस्रावादीनां शरीरे अभावो द्रव्यशुद्धि:। ...... =1. द्रव्य शुद्धि-ज्वर कुक्षिरोग, शिरोरोग, कुत्सित स्वप्न, रुधिर, विष्टा, मूत्र, लेप, अतिसार और पीबका बहना इत्यादिकों का शरीर में न रहना द्रव्य शुद्धि कही जाती है।......
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