पंचनमस्कार
From जैनकोष
अर्हत्, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु को नमस्कार सूचक मंत्र (णमोकार) । यह मंत्र समस्त पापों से मुक्त करता है । इसके प्रभाव में कई तिर्यंच मनुष्य और देव हुए हैं । इसे पंचनमस्कृति तथा पंचनमस्कारपद नाम से भी अभिहित किया गया है । महापुराण 39.43, 70. 136-138, महापुराण 6.238-242 हरिवंशपुराण - 21.107