पण्डित द्यानतरायजी कृत भजन
From जैनकोष
- आतम अनुभव कीजै हो...
- आतम अनुभवसार हो, अब जिय सार हो प्राणी....
- आतम काज सँवारिये, तजि विषय किलोलैं
- आतम जान रे जान रे जान...
- आतम जाना, मैं जाना ज्ञानसरूप...
- आतम जानो रे भाई.....
- आतम महबूब यार, आतम महबूब...
- आतमरूप अनूपम है, घटमाहिं विराजै हो.........
- आपा प्रभू जाना मैं जाना.....
- आतमरूप सुहावना, कोई जानै रे भाई । जाके जानत पाइये त्रिभुवन ठुकराई.......
- आतमज्ञान लखैं सुख होइ...
- इस जीवको, यों समझाऊं री!......
- ए मेरे मीत! निचीत कहा सोवै.....
- कर कर आतमहित रे प्रानी....
- कर रे! कर रे! कर रे!, तू आतम हित कर रे.....
- कर मन! निज-आतम-चिंतौन.......
- कारज एक ब्रह्महीसेती....
- घटमें परमातम ध्याइये हो, परम धरम धनहेत..
- चेतनजी! तुम जोरत हो धन, सो धन चलत नहीं तुम लार
- चेतन! तुम चेतो भाई, तीन जगत के नाथ..
- चेतन प्राणी चेतिये हो..
- चेतन! मान ले बात हमारी....
- जगतमें सम्यक उत्तम भाई...
- जानत क्यों नहिं रे, हे नर आतमज्ञानी.....
- जानो धन्य सो धन्य सो धीर वीरा....
- जो तैं आतमहित नहिं कीना.....
- तुमको कैसे सुख ह्वै मीत!....
- तुम चेतन हो...
- तुम ज्ञानविभव फूली बसन्त, यह मन मधुकर...
- देखे सुखी सम्यक्वान....
- देखो भाई! आतमराम विराजै....
- निरविकलप जोति प्रकाश रही.....
- पायो जी सुख आतम लखकै..
- प्राणी! आतमरूप अनूप है, परतैं भिन्न त्रिकाल...
- प्राणी! सो%हं ६ पण्डित द्यानतरायजी कृत भजन
- सो%हं ध्याय हो....
- बीतत ये दिन नीके, हमको......
- भजो आतमदेव, रे जिय! भजो आतमदेव, लहो...
- भवि कीजे हो आतमसँभार, राग दोष परिनाम डार...
- भ्रम्योजी भ्रम्यो, संसार महावन, सुख .....
- भाई! अब मैं ऐसा जाना....
- भाई कौन कहै घर मेरा.....
- भाई! ब्रह्मज्ञान नहिं जाना रे....
- भाई! ज्ञान बिना दुख पाया रे
- भाई! ज्ञानी सोई कहिये.....
- भैया! सो आतम जानो रे!......
- मगन रहु रे! शुद्धातम में मगन रहु रे..
- मन! मेरे राग भाव निवार..
- मैं निज आतम कब ध्याऊँगा.....
- रे भाई! मोह महा दुखदाता...
- लाग रह्यो मन चेतनसों जी....
- लागा आतमसों नेहरा....
- वे परमादी! तैं आतमराम न जान्यो.......
- सब जगको प्यारा, चेतनरूप निहारा....
- सुन चेतन इक बात....
- सुनो! जैनी लोगो, ज्ञानको पंथ कठिन है....
- सो ज्ञाता मेरे मन माना, जिन निज-निज पर पर जाना श्रीजिनधर्म सदा जयवन्त....
- शुद्ध स्वरूप को वंदना हमारी..
- हम लागे आतमरामसों.....
- हम तो कबहुँ न निज घर आये...
- हो भैया मोरे! कहु कैसे सुख होय..
- वे कोई निपट अनारी, देख्या आतमराम....
- ज्ञाता सोई सच्चा वे, जिन आतम अच्चा...
- ज्ञान सरोवर सोई हो भविजन....
- ज्ञान ज्ञेयमाहिं नाहिं, ज्ञेय हू न ज्ञानमाहिं...
- ज्ञानी ऐसो ज्ञान विचारै..
- ज्ञानी ऐसो ज्ञान विचारै....
- अरहंत सुमर मन बावरे......
- ए मान ये मन कीजिये भज प्रभु तज सब बात हो....
- चौबीसौं को वंदना हमारी...
- जिनके भजन में मगन रहु रे!....
- जिन जपि जिन जपि, जिन जपि जीयरा.....
- जिन नाम सुमर मन! बावरे! कहा इत उत भटकै.......
- जिनरायके पाय सदा शरनं....
- जिनवरमूरत तेरी, शोभा कहिय न जाय....
- तू ही मेरा साहिब सच्चा सांई....
- तेरी भगति बिना धिक है जीवना....
- मानुष जनम सफल भयो आज.....
- मैं नूं भावैजी प्रभु चेतना, मैं नूं भावैजी..
- प्रभु! तुम नैनन-गोचर नाहीं...
- प्रभु तुम सुमरन ही में तारे...
- प्रभु तेरी महिमा किहि मुख गावैं...
- रे मन! भज भज दीनदयाल....
- वीतराग नाम सुमर, वीतराग नाम.....
- हम आये हैं जिनभूप! तेरे दरसन को.....
- अब समझ कही....
- आरसी देखत मन आर-सी लागी.......
- काहेको सोचत अति भारी, रे मन!....
- कौन काम अब मैंने कीनों, लीनों सुर अवतार हो...
- गलतानमता कब आवैगा ....
- चाहत है सुख पै न गाहत है धर्म जीव....
- जीव! तैं मूढ़पना कित पायो.....
- झूठा सपना यह संसार....
- त्यागो त्यागो मिथ्यातम, दूजो नहीं जाकी सम...
- तू तो समझ समझ रे!.....
- तेरो संजम बिन रे, नरभव निरफल जाय....
- दियैं दान महा सुख पावै....
- दुरगति गमन निवारिये, घर आव सयाने नाह हो....
- धिक! धिक! जीवन समकित बिना...
- नहिं ऐसो जनम बारंबार....
- निज जतन करो गुन-रतननिको, पंचेन्द्रीविषय...
- परमाथ पंथ सदा पकरौ...
- प्राणी लाल! छांडो मन चपलाई.......
- प्राणी लाल! धरम अगाऊ धारौ....
- भाई! कहा देख गरवाना रे..
- भाई काया तेरी दुखकी ढेरी....
- भाई! ज्ञानका राह दुहेला रे....
- भाई! ज्ञानका राह सुहेला रे.......
- मानों मानों जी चेतन यह.....
- मिथ्या यह संसार है, झूठा यह संसार है रे.....
- मेरी मेरी करत जनम सब बीता...
- मेरे मन कब ह्वै है बैराग....
- मोहि कब ऐसा दिन आय है ...
- ये दिन आछे लहे जी लहे जी..
- रे जिय! जनम लाहो लेह....
- विपति में धर धीर, रे नर! विपति में धर धीर.......
- समझत क्यों नहिं वानी, अज्ञानी जन..........
- संसार में साता नाहीं वे............
- सोग न कीजे बावरे! मरें पीतम लोग....
- हम न किसी के कोई